यूपीएससी 2024 का रिजल्ट भले ही राजस्थान के लिए टॉप-10 की लिस्ट में मायूस कर देने वाला रहा हो लेकिन सच्चाई ये है कि सिलेक्शन के आंकड़े प्रदेश की मेहनत और जागरूकता की नई कहानी कह रहे हैं क्योंकि इस बार आदिवासी समुदाय के साथ-साथ बाड़मेर, जोधपुर और दौसा जैसे जिलों से कई उम्मीदवारों ने बड़ी रैंकिंग के साथ बाज़ी मारी है।

कौन-कौन से नाम बने हैं इस बार चर्चा का कारण?
जोधपुर के त्रिलोक सिंह ने 20वीं रैंक के साथ प्रदेश का सर्वोच्च स्थान हासिल किया है, वहीं राहुल कुमार मीणा ने 600वीं, रविराज सत्तावन ने 713वीं, अंकित जारवाल ने 852वीं और आनंद कुमार मीणा ने 865वीं रैंक हासिल कर यह साबित किया है कि मेहनत करने वालों के लिए कोई भी जिला छोटा नहीं होता।
पिछले सालों में कैसे रहा है राजस्थान का प्रदर्शन?
अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो 2013 में गौरव अग्रवाल और 2018 में कनिष्क कटारिया देशभर में टॉप कर चुके हैं, उसके बाद भी कई छात्रों ने लगातार टॉप-20 और टॉप-30 में जगह बनाई है जैसे 2020 में जयपुर के गौरव बुडानिया ने 13वीं रैंक हासिल की थी और 2021 में श्रीगंगानगर के रवि सिहाग को 18वीं रैंक मिली थी।
क्या कारण है कि ST वर्ग से बढ़ रही है भागीदारी?
पूर्व आईएएस ललित के पंवार के अनुसार पूर्वी राजस्थान में आदिवासी समुदाय शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार मानता है, वे कर्ज लेकर भी बच्चों को शहरों में पढ़ाते हैं ताकि भविष्य सुधरे, इसी का नतीजा है कि ST कैटेगरी की आरक्षित सीटों पर राजस्थान के 33 उम्मीदवारों ने इस बार कब्जा जमाया है।
क्या टॉप-10 में ना आना मायने रखता है?
इस सवाल का जवाब रिटायर्ड आईएएस राजेंद्र भानावत ने बड़ी सहजता से दिया कि टॉप-10 में आना मायने नहीं रखता क्योंकि असल मायने सिलेक्शन के आंकड़े होते हैं और इस मामले में राजस्थान यूपी और बिहार को बराबरी की टक्कर दे रहा है, यहां तक कि कई राज्य इससे पीछे भी हैं।
किस जिले से हो रहा है सबसे ज्यादा बदलाव?
बाड़मेर, जिसे आज भी अत्यंत पिछड़ा माना जाता है, वहां के 5 युवाओं ने इस बार UPSC क्लियर कर दिखाया कि अगर तैयारी सही दिशा में हो तो संसाधनों की कमी बाधा नहीं बनती, इसके अलावा दौसा, जोधपुर और सवाई माधोपुर के युवाओं ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है जिससे अब राजधानी जयपुर के बाहर भी आईएएस बनने का माहौल बन रहा है।
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कोचिंग और माहौल में दिल्ली बन रहा है बड़ा फैक्टर?
कई टॉपर्स ने माना है कि दिल्ली का माहौल उन्हें जयपुर से कहीं ज्यादा गंभीर और रणनीतिक लगा इसलिए वे वहीं जाकर तैयारी करते हैं, उनके अनुसार दिल्ली में अनुभवी गाइडेंस, मजबूत टेस्ट सीरीज और बेहतर कंपीटिशन का फायदा सीधा रिजल्ट में दिखता है।
UPSC में आगे क्या दिख रही है राजस्थान की तस्वीर?
साफ है कि राजस्थान अब सिर्फ टॉप-10 या टॉपर बनने की रेस में नहीं बल्कि सिलेक्शन की संख्या और विविधता में मजबूती से आगे बढ़ रहा है, आदिवासी इलाकों की शिक्षा में जागरूकता और नए जिलों की सक्रियता आने वाले सालों में प्रदेश को और ऊंचाई पर ले जा सकती है।
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