Kisan Direct Subsidy Scheme: देशभर के किसानों के लिए एक बड़ी और सीधे ज़िंदगी बदलने वाली खबर सामने आई है। अब सरकार की योजना है कि खाद, बीज, यंत्र और अन्य कृषि इनपुट्स पर दी जाने वाली सब्सिडी को बिचौलियों के बजाय सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाए। राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर में आयोजित ‘कृषि उद्योग समागम’ में इस बात की जोरदार वकालत की। अगर यह योजना पूरी तरह लागू होती है, तो देश के हर किसान को सालाना ₹35,000 तक का सीधा लाभ मिल सकता है।
सीधी सब्सिडी से किसानों को क्या मिलेगा?
अब तक किसान खाद, बीज या उपकरण खरीदते समय दुकानों से सब्सिडी का लाभ लेते थे, जिसमें कई बार भ्रष्टाचार, देरी या गलत लाभार्थी की शिकायतें सामने आती थीं। अब अगर सब्सिडी सीधे खाते में ट्रांसफर होती है, तो न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि किसान अपनी ज़रूरत के मुताबिक बेहतर फैसला भी ले सकेंगे। इससे नकद प्रवाह (कैश फ्लो) बेहतर होगा और किसान फसल की तैयारी में समय रहते निवेश कर सकेंगे।
अमेरिका से ली जा रही है प्रेरणा
राष्ट्रपति ने अमेरिका का उदाहरण देकर बताया कि वहां कृषि क्षेत्र में सीधी सहायता की नीति के कारण किसानों की औसत आमदनी एक सामान्य परिवार से भी ज़्यादा है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में भी यदि यही मॉडल अपनाया जाए, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गहरा बल मिलेगा। यह नीति सिर्फ सब्सिडी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
किसान अब सिर्फ उत्पादक नहीं, बनेंगे उद्यमी
सरकार की सोच अब यह है कि किसान सिर्फ खेती तक सीमित न रहें, बल्कि उन्हें उद्यमी यानी कृषि व्यवसाय का नेतृत्व करने वाला बनाया जाए। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च से राष्ट्रपति ने अपील की है कि वे किसानों को व्यावसायिक दृष्टिकोण से सक्षम बनाने के लिए योजनाएं बनाएं। इसके साथ ही पीएम किसान सम्मान निधि जैसी सीधी सहायता की योजना को अन्य सब्सिडी क्षेत्रों में भी लागू करने की बात दोहराई गई।
खेती की लागत घटाएंगे सौर ऊर्जा पंप
मध्यप्रदेश सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि 32 लाख किसानों को सोलर पंप दिए जाएंगे, जिन पर 90% तक सब्सिडी दी जाएगी। यह पहल इसलिए अहम है क्योंकि सिंचाई किसानों की सबसे बड़ी लागतों में से एक होती है। सौर पंप न केवल बिजली का खर्च घटाएंगे, बल्कि सिंचाई के लिए स्वतंत्रता भी देंगे, जिससे किसान कई फसलों की खेती कर पाएंगे।
नए फूड प्रोसेसिंग पार्क से खुलेगा लाभ का द्वार
खाद्य प्रसंस्करण यानी फूड प्रोसेसिंग कृषि से जुड़े उद्योगों की रीढ़ होती है। छिंदवाड़ा, मंडला और नरसिंहपुर जैसे इलाकों में नए फूड प्रोसेसिंग पार्क की स्थापना की जा रही है। इसका सीधा लाभ यह होगा कि किसानों को उनकी उपज का स्थानीय स्तर पर बेहतर मूल्य मिलेगा और उत्पाद खराब नहीं होंगे। इसके साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, जिससे पूरा ग्रामीण क्षेत्र आर्थिक रूप से मजबूत होगा।
किसानों को तकनीक से जोड़ने की बड़ी पहल
सरकार किसानों को उन्नत मशीनों पर भी सब्सिडी देने जा रही है ताकि वे आधुनिक तकनीकों के साथ खेती कर सकें। अब छोटे किसान भी कम लागत में ट्रैक्टर, थ्रेशर, सीड ड्रिल जैसी मशीनें ले सकेंगे। इससे उनकी उत्पादकता बढ़ेगी और फसल का नुकसान घटेगा। खासकर युवा किसानों के लिए यह एक बड़ा मौका है कि वे पारंपरिक खेती के बजाय वैज्ञानिक और लाभकारी तरीके अपनाएं।
कृषि मेलों से मिल रही है जानकारी और प्रेरणा
कृषि मेलों और उद्योग समागमों के ज़रिए किसानों तक नई तकनीकें, बीज, उपकरण और सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाई जा रही है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने इस दिशा में इन आयोजनों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। आने वाले महीनों में सतना, मुरैना और सीहोर में बड़े कृषि मेले आयोजित किए जाएंगे, जहां किसान सीधे विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकेंगे।
कृषि क्षेत्र में निवेश से बढ़ेगा रोज़गार
इस समागम के दौरान ₹4,376 करोड़ के 52 निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिनसे 6,100 लोगों को रोज़गार मिलेगा। इसके अलावा 15 औद्योगिक इकाइयों को भूमि आवंटन भी किया गया है। 14 इकाइयों का उद्घाटन और 16 का भूमिपूजन भी हुआ, जिससे यह साफ है कि सरकार कृषि क्षेत्र को उद्योग से जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।
देश की तरक्की की नींव खेतों में छुपी है
राष्ट्रपति ने दो टूक कहा कि भारत का विकास खेतों से होकर ही संभव है। किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माता हैं। जब देश का किसान समृद्ध होगा, तभी अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी। कृषि क्षेत्र को तकनीक, निवेश, और सीधी सहायता के ज़रिए बदलने की यह कोशिश अगर पूरी ईमानदारी से की गई, तो आने वाले वर्षों में ग्रामीण भारत की तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।
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