RTE Private School Rules: हरियाणा के फरीदाबाद और बल्लभगढ़ के सैकड़ों अभिभावकों और छात्रों के लिए यह खबर बेहद महत्वपूर्ण है। शिक्षा विभाग अब उन 364 निजी स्कूलों पर कड़ा शिकंजा कसने जा रहा है, जिन्होंने शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत आरक्षित सीटों से जुड़ी ज़रूरी जानकारी पोर्टल पर समय रहते साझा नहीं की। यह सिर्फ तकनीकी चूक नहीं, बल्कि कानून की स्पष्ट अनदेखी है, जिसकी सीधी मार स्कूलों की मान्यता पर पड़ सकती है।
RTE नियमों की अनदेखी आखिर क्यों बनी इतनी बड़ी चूक
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मुताबिक, सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को अपनी कुल सीटों में से 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होती हैं। इन बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाती है, और स्कूलों को इस योजना की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इन सीटों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है।
लेकिन फरीदाबाद जिले के करीब 1200 निजी स्कूलों में से 364 स्कूलों ने इस बेहद जरूरी प्रक्रिया को या तो नजरअंदाज कर दिया, या अंतिम तिथि बीत जाने तक कार्रवाई नहीं की। पहले इन्हें 23 मई तक का समय दिया गया था, जिसे बढ़ाकर 26 मई कर दिया गया, लेकिन फिर भी कोई सुधार नहीं आया।
अब शिक्षा विभाग के एक्शन मोड में आने की वजह क्या है
सरकार और शिक्षा विभाग इस मामले को महज प्रशासनिक चूक मानकर नहीं छोड़ सकते। जब सैकड़ों स्कूल RTE जैसी महत्वपूर्ण योजना को गंभीरता से नहीं लेते, तो इससे ना सिर्फ गरीब तबके के बच्चों के हक मारे जाते हैं, बल्कि पूरे तंत्र की साख पर भी सवाल उठता है।
इसी वजह से शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है। अब इन स्कूलों का एमआईएस पोर्टल ब्लॉक किया जाएगा और इन्हें गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह कदम स्कूलों की प्रशासनिक पहचान खत्म करने की दिशा में पहला और बड़ा कदम साबित हो सकता है।
गैर मान्यता की स्थिति में स्कूलों पर क्या असर पड़ेगा
अगर किसी स्कूल को गैर मान्यता प्राप्त घोषित कर दिया जाता है, तो इसका असर सिर्फ सरकारी रिकॉर्ड तक सीमित नहीं रहता। ऐसे स्कूल न तो किसी सरकारी योजना का लाभ ले सकते हैं, न ही उनका संचालन वैध माना जाएगा। इसका सीधा असर स्कूल में पढ़ रहे छात्रों की पढ़ाई, उनके दस्तावेजों की मान्यता और स्कूल की प्रतिष्ठा पर पड़ता है।
20 जून तक शिक्षा विभाग गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की अंतिम सूची जारी करने वाला है। इससे पहले सभी स्कूलों को अपनी मान्यता संबंधी दस्तावेज और आरक्षित सीटों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। यह अंतिम अवसर है, जिसके बाद कोई राहत नहीं मिलने वाली।
अभिभावकों को क्या समझना चाहिए और कैसे सतर्क रहें
यह घटना उन अभिभावकों के लिए भी एक सबक है जो अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाते हैं। जरूरी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि स्कूल न सिर्फ मान्यता प्राप्त हो, बल्कि सरकारी नियमों का पालन भी कर रहा हो। अगर स्कूल RTE जैसी योजना का पालन नहीं करता, तो भविष्य में छात्रों को सर्टिफिकेट, स्कॉलरशिप और अन्य सुविधाओं से वंचित रहना पड़ सकता है।
अब वक्त है कि अभिभावक भी सवाल पूछें – क्या आपके बच्चे का स्कूल पोर्टल पर RTE की जानकारी समय पर अपलोड करता है? क्या स्कूल की मान्यता वैध है? यह जानकारी स्कूल से लेकर शिक्षा विभाग की वेबसाइट तक, हर जगह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होनी चाहिए।
सरकार के अगले कदम क्या हो सकते हैं
शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, जिन स्कूलों ने अभी तक जानकारी साझा नहीं की है, उनकी रिपोर्ट तैयार कर निदेशालय को भेजी जा रही है। इसके आधार पर उन्हें मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही भविष्य में ऐसे स्कूलों को सरकारी योजनाओं से पूरी तरह वंचित किया जा सकता है।
यह चेतावनी उन सभी निजी शिक्षण संस्थानों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि वे किसी भी हालत में RTE जैसे कानून को हल्के में न लें। अब सिर्फ शिक्षा देना ही काफी नहीं, बल्कि नियमों के अनुरूप पारदर्शिता और जवाबदेही भी अनिवार्य है।
आगे की राह और जरूरी जागरूकता
फरीदाबाद और बल्लभगढ़ के इस मामले ने एक बार फिर दिखा दिया है कि स्कूलों के प्रशासनिक फैसले सीधे तौर पर छात्रों के भविष्य से जुड़े होते हैं। सरकार का यह सख्त रुख स्वागत योग्य है, लेकिन इस पूरे मुद्दे में सबसे अहम भूमिका जागरूक अभिभावकों और सतर्क नागरिकों की होगी। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा सिर्फ व्यावसायिक गतिविधि न बने, बल्कि यह एक जिम्मेदारी से जुड़ी सेवा बनी रहे।
अगर आप एक अभिभावक हैं, या शिक्षा से जुड़े किसी रूप में जुड़े हैं, तो अब समय है सतर्क रहने का। अपने क्षेत्र के स्कूलों के बारे में जानकारी जुटाएं, उनके रिकॉर्ड देखें, और सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को वह शिक्षा मिल रही है, जो कानूनी रूप से उसका हक है।
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